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क्या होता हैं सैंगोल? जानिए पुरी कहानी

क्या होता हैं सैंगोल?

What is Sengol

हाल ही में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने काफी कॉन्ट्रोवर्सीज के बीच भारत के नए पार्लियामेंट के इनॉगरेशन किया। जिसमें सबसे बड़ी कॉन्ट्रोवर्सी थी एक पाँच फुट की छड़ी जिसको सैंगोल बोलते हैं। काफी सारे विजुअल देखे होंगे कि बहुत सारे ऋषिमुनि, पंडित इस समारोह में शामिल हुए थे जिसने काफी कंट्रोवर्सी क्रिएट की। 

तो इसके पीछे की पूरी कहानी यह है कि भारत की आजादी के एक दिन पहले 14 अगस्त 1947 को हमारे उस समय के गवर्नर जनरल लॉर्ड माउंटबेटन और होने वाले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने मिलकर डिसाइड किया। एक ऐसी सेरेमनी हुई थी जो दर्शाए कि पावर ट्रांसफर हो रही है ब्रिटिशर्स इंडियन्स के हाथ में और हमारे अगले होने वाले गवर्नर जनरल थे तामिल पॉलिटिशियन सी. राजगोपालाचारी। उन्होंने सजेस्ट किया कि सदियों पुराना कस्टम जो कि दक्षिण भारत की चोला डायनेस्टी पांडया डायनेस्टी से कई सारे डायनेस्टी यूज करती थी। 

जब पावर एक राज्य से दूसरे राजा के हाथ में आया करती थी, उसमें सैंगोल का यूज किया जाता था जो कि गुड गवर्नेंस को दर्शाता है। सैंगोल के ऊपर भगवान शिव का वाहन नंदी का आकार बना होता है जोकि न्याय जस्टिस को दर्शाता है और यह सेरेमनी काफी सारे तामिल पंडित उस समय के आधीन बोला जाता था उनके द्वारा की जाती थी। इसके अलावा भारत ने 2022 से 2047 तक एक डेवलप्ड इकनॉमी बनने का प्रण लिया है जिसको अमृत काल से भी जाना जाता है। तो हमारी सरकार ने इस सैंगोल को जो आजादी की सेरेमनी के बाद अलाहाबाद के एक म्यूजियम में अनयूज्ड पड़ा था, उसको लोकसभा के स्पीकर की सीट के ऊपर परमानेंटली लगा दिए। क्योंकि भारत को अपने लक्ष्य, अपनी इंडिपेंडेंस और अपने इंडिपेंडेंस स्ट्रगल को हमेशा याद दिलाता रहेगा।


भारत का नया संसद भवन

संसद भवन, जो राष्ट्रीय संसद की मुख्य ग्रहणालय के रूप में उपयोग होता है, देश की जगहदारी और गर्व की बात है। यह नया संसद भवन, जो नई दिल्ली के बीजिंग क्षेत्र में स्थित है, भारतीय लोकतंत्र के महत्वपूर्ण प्रतीकों में से एक है। इस नए संसद भवन की निर्माण योजना और अभियान, प्राइम मिनिस्टर नरेंद्र मोदी के आदर्शों का प्रतीक है, जो एक नवीन भारत के निर्माण के लिए प्रतिबद्ध हैं।

यह संसद भवन, वास्तुशास्त्र के प्रमुख सिद्धांतों पर आधारित है और इसे भारतीय संस्कृति और प्राकृतिक तत्वों के साथ मेल करने का प्रयास किया गया है। यह एक उच्च तकनीकी और आधुनिक संस्कृति के साथ लोकतांत्रिक मूल्यों को भी दर्शाता है।

नया संसद भवन भारतीय लोकतंत्र की सशक्तीकरण की प्रतीक है। इसे स्थापित करने का उद्देश्य भारतीय लोकतंत्र के नए और विकासशील युग के साथ एक समर्पित और प्रगतिशील संसद की नींव रखी थी।

भारत के नए संसद भवन की खासियतों को हिंदी में बताने पर गर्व महसूस हो रहा है। नया संसद भवन एक आधुनिक, भव्य और प्रगतिशील संसद स्थान होगा, जो अपनी विशेषताओं के लिए प्रशंसा के योग्य है। यहां कुछ मुख्य क्षेत्र निम्नानुसार हैं:

भव्य और स्थायी संरचना: नया संसद भवन एक महासंगठन होगा, जिसमें मुख्य सदन, आपसी संवाद सदन, सदन मंडल, सदन के आवासीय क्षेत्र, कार्यकारिणी क्षेत्र, सदन संचालन केंद्र और समिति कक्ष सम्मिलित होंगे।

मॉडर्न डिजाइन: नया संसद भवन अपने आधुनिक और प्रगतिशील डिजाइन के लिए प्रसिद्ध होगा। इसका डिजाइन भारतीय संस्कृति, स्थानीय परंपराओं और विज्ञान-प्रौद्योगिकी के मेल को प्रतिष्ठित करेगा।

तकनीकी सुदृढ़ता: नया संसद भवन तकनीकी सुदृढ़ होगा और आधुनिक सुविधाओं के साथ लैस होगा। यह इंटरनेट, वायरलेस कम्यूनिकेशन, डिजिटल जनसम्पर्क, वीडियो कॉन्फ़्रेंसिंग, सुरक्षा तंत्र और सांसदों के लिए विशेष सुविधाएं शामिल करेगा।

स्थान के महत्व: नया संसद भवन स्थान की दृष्टि से महत्वपूर्ण होगा। यह राष्ट्रीय संसद के पास स्थित होगा और दिल्ली की शानदार विचारधारा, पुरातत्विक और सांस्कृतिक स्मारकों के पास होगा।

पर्यावरणीय सम्बंधितता: नया संसद भवन पर्यावरणीय मानकों को पालन करेगा। यह ऊर्जा दक्ष और स्थायी निर्माण के लिए वैश्विक मानकों पर ध्यान देगा।

सामाजिक और सांस्कृतिक संवाद: नया संसद भवन सामाजिक और सांस्कृतिक संवाद को प्रोत्साहित करेगा। यह विभिन्न राज्यों और क्षेत्रों के संसदीय प्रतिनिधियों के बीच संवाद को सुगम और सक्रिय बनाएगा, जिससे देश के अलग-अलग क्षेत्रों की मांगों और मुद्दों का समान ध्यान दिया जा सकेगा।

दुनिया के साथ जुड़ाव: नया संसद भवन भारत को दुनिया के साथ अधिक मजबूत जोड़ेगा। इसका अर्थ है कि यह अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर संवाद, विदेशी संसदों और विदेशी राजनीतिज्ञों के लिए एक महत्वपूर्ण स्थान होगा, जहां वे आपसी बातचीत और सहयोग का माध्यम ढूंढ सकते हैं।

नया संसद भवन भारत के लिए गर्व का विषय होगा और यह सांसदों के लिए एक उच्चतम स्थान होगा, जहां वे देश के मुद्दों पर चर्चा कर सकते हैं और नई और सुदृढ़ नीतियों का निर्माण कर सकते हैं।

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